ज्योतिषीय ______________________
विश्लेषण
????????? {® जयपुर
मैट्रो ट्रेन ©}
[ ©JAIPUR METRO TRAIN ® ]
तो दोस्तों इंतजार की घडी ख़त्म हुई आइये जानते हैं
:- "आचार्य " पंडित भवानी शंकर वैदिक :: के साथ >>>>>>>>
क्या कहती हैं ज्योतिष , कैसा रहेगा सरकार का यह कदम , क्या आर्थिक व्यवस्था दृढ होगी ; जैसे अनेक प्रश्नों का समाधान आईये जानते हैं आचार्य पं भवानीशंकर वैदिक जी के साथ ........................???
शंका :- #JAIPUR METRO TRAIN (जयपुर मेट्रो ट्रेन)
संचालन कैसा रहेगा राज्य सरकार और राजवासियों के लिए?????????
???????????????????????????? " संचालन - समय "
बुधवार सुबह 11:45 am
क्या शुभ - परिणाम देगा इस समय का लग्न ___________________कौन हैं स्वामी लग्न का क्या होगा जानते हैं आचार्य भवानीशंकर वैदिक जी के श्री मुख से >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> जयपुर मेट्रो का संचालन सिंह लग्न में हुआ जोकि स्थिरता का परिचायक हैं ।
लग्नेश सूर्य दशमस्थ मित्र ग्रह मंगल और बुध के साथ शत्रु राशि वृष पर स्थित हैं ।
हमने पाया लग्नेश की केंद्र में स्थिति आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाती
हैं ; किन्तु शत्रु राशि में स्थिति और लग्नेश की चतुर्थ भाव पर स्थिति <<<<<<<<<<<<< ये दोनों गतिविधियाँ व्यावसायिक क्षेत्र पर प्रतिकूल - प्रभाव भी डाल सकती हैं ; साथ ही शनि - राहु की पूर्ण शत्रु दृष्टि अनहोनी की पूर्वसूचना सत्यापित करती हैं।
//////स्थिर लग्न :- "स्थिर-लग्न में संपादित कार्य स्थिरता का परिचायक होता हैं ; किन्तु वाहनादि
चालन -- संचालन , विनिमय , क्रय- विक्रयादि ,
के लिए __________®
"चर लग्न" श्रेष्ठफलप्रद होता हैं।
बात करें चतुर्थ भाव की जो कि वाहनादि का सूचक माना जाता हैं ; तत्र नीचस्थ चंद्र और शत्रु राशिस्थ शनि दोनों ही नेष्ट फल - प्रद हैं।
वाहनादि का कारक - ग्रह?????????
"शुक्र - ग्रह" वाहनादि का कारक हैं ।
शुक्र - ग्रह की बात करें तो शुक्र तृतीय एवं दशम स्थानाधीश होकर बारहवें भाव में शत्रु राशिस्थ हैं ; अत: यहाँ पर भी शुक्र की स्थिति संदेहास्पद हैं।
//////// एक - नजर नवमांश - कुंडली पर \\\\\\\\\\\\\\\\\नवमांश कुंडली कर्क - लग्न में उदित हैं ; लग्नेश चंद्र अष्टमस्थ हैं।
यहाँ भी स्थिति नाजुक नज़र आ रही हैं।।
//////और एक नजर अंतिम - चर्चा ............ में बात करें दशाओं की तो बुध की महादशा में राहु का अंतर और शुक्र का प्रत्यंतर जो कि तीनो ग्रह लग्नेश के प्रतिकूल परिणाम - दायक हैं।।
[आचार्य पं भवानीशंकर वैदिक]
बुध की स्थिति की बात करें तो बुध " मारकेश और एकादशेस होकर दशमस्थ लग्नेश के साथ स्थित हैं ; जो कि चालन - परिसंचालन में प्रतिकूल प्रभाव देने वाले हैं।।
>>>आगे हरी इच्छा बलवान<<<
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नमो नारायणाय
आचार्य पं भवानीशंकर वैदिक
[शिक्षाशास्त्री , साहित्याचार्य , वेदविभूषण ]
Posted via Bhawani vaidik
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